रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

186 Part

205 times read

1 Liked

... विनय ने बाहर की तरफ देखा। सूर्यदेव किसी लज्जित प्राणी की भाँति अपना कांतिहीन मुख पर्वतों की आड़ में छिपा चुके थे। नायकराम पल्थी मारे भंग घोट रहे थे। यह ...

Chapter

×